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आजकल डिग्री-विग्री से कुछ खास होवे नहीं, असली खेल तो हुनर का है! जॉयदीप दत्ता के साथ भी ऐसा ही हुआ। MCA की डिग्री लेकर 50 कंपनियों में धक्के खाए, पर नौकरी कहीं न मिली। घरवाले भी ताने मारने लगे, और उधर नेताओं की बातें भी कानों में गूंज रही थी। पर इस छोरे ने हार नहीं मानी, और कुछ अलग करने की ठान ली।

आज जॉयदीप डिजिटल मार्केटिंग और ब्रांडिंग का बड़ा खिलाड़ी है, अपनी खुद की कंपनी चला रहा है, और सैंकड़ों लड़कों को रोजगार दे रहा है। पर यहाँ तक पहुंचने का रास्ता आसान नहीं था!

“डिग्री तो थी, पर नौकरी का जुगाड़ नहीं हुआ, फिर क्या किया इस छोरे ने?”

जॉयदीप दत्ता का जन्म 26 मार्च 1991 को पश्चिम बंगाल के माणबाजार में हुआ। बाप-मां ने खूब पढ़ाया-लिखाया, ताकि छोरा अच्छी नौकरी पा ले। BCA और MCA की डिग्री तो ले ली, पर जब नौकरी ढूंढने निकला, तो पता चला कि डिग्री से ज़्यादा तो इंटरव्यू पास करने का दम चाहिए!

कैपजेमिनी जैसी बड़ी कंपनी के टेस्ट में 90% नंबर लाए, पर अंग्रेजी बोलने में अटके, और इंटरव्यू में बाहर हो गए! ऐसे ही 50 बार रिजेक्ट होने के बाद समझ आया कि अब कुछ अपना ही करना पड़ेगा।

“नौकरी नहीं मिली, तो खुद का धंधा शुरू किया – और सब कुछ लुटा दिया!”

जॉयदीप ने सोचा, “चलो, अपना ही कुछ करते हैं!” डिजिटल मार्केटिंग सीखी, और 2019 में “Affnosys India” नाम की कंपनी खोल ली। धंधा जमने ही वाला था, कि कोरोना का लॉकडाउन आ गया!

  • आमदनी जीरो, धंधा चौपट!
  • लाखों का नुकसान, स्टाफ की तनख्वाह के लिए कर्ज लेना पड़ा।
  • घरवाले भी साथ छोड़ गए, और पर्सनल लाइफ में भी धोखा मिला।

ऐसे में तो कोई भी हिम्मत हार जाता, पर जॉयदीप ने सोचा, “अब तो नया खेल शुरू करना है!”

“फिर से खड़ा हुआ, नए हुनर सीखे, और करोड़ों का धंधा जमा दिया!”

जॉयदीप ने डिजिटल ब्रांडिंग और ई-कॉमर्स में महारत हासिल की। नए हुनर सीखे, खुद को बदला, और अपने धंधे को फिर से खड़ा कर दिया।

आज उसकी कंपनी अच्छा खासा कारोबार कर रही है। डिजिटल मार्केटिंग, ब्रांड मैनेजमेंट, ई-कॉमर्स मार्केटिंग, और इन्फ्लुएंसर मैनेजमेंट जैसे काम कर रहा है।

“जो कभी नौकरी के लिए भटकता था, वो आज नौकरी देने वाला बन गया!”

जो छोरा कभी नौकरी के लिए मारा-मारा फिरता था, वो आज दूसरों को नौकरी दे रहा है! जॉयदीप आज युवाओं को डिजिटल स्किल्स सिखा रहा है, और बेरोजगारों को ऑनलाइन पैसे कमाने के तरीके बता रहा है।

इससे क्या सीख मिलती है?

  • डिग्री ज़रूरी है, पर हुनर उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है।
  • 50 बार रिजेक्ट होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारोगे, तो कामयाबी ज़रूर मिलेगी।
  • अगर नौकरी न मिले, तो खुद नौकरी देने वाले बनो!

आज जॉयदीप दत्ता की कहानी उन हर लड़के के लिए सबक है, जो सिर्फ डिग्री के भरोसे नौकरी की उम्मीद करते हैं। अगर मेहनत और हुनर हो, तो कोई भी अपनी किस्मत खुद बना सकता है!

तो अगली बार जब कोई कहे, “ये नहीं हो सकता”, तो सोचो – क्या तुम सिर्फ नौकरी ढूंढना चाहते हो, या खुद कुछ बड़ा बनाना चाहते हो?

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