जयपुर – राजस्थानी सिनेमा के जाने-माने अभिनेता राजवीर गुर्जर बस्सी ने एक बार फिर राजस्थानी भाषा की उपेक्षा पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थानी कलाकार बहुत मेहनत और लगन से फिल्में बनाते हैं, लेकिन उनकी भाषा को आज भी वह सम्मान नहीं मिल पा रहा है जिसकी वह हकदार है।
“हमारी भाषा, हमारा हक!”
बस्सी ने कहा, “राजस्थानी भाषा हमारी पहचान है, हमारी संस्कृति की आत्मा है। लेकिन दुख की बात है कि इसे आज भी संवैधानिक मान्यता नहीं मिली है। राजस्थानी कलाकार अपनी भाषा और संस्कृति को बचाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी आवाज़ नहीं सुन रही है।”
राजस्थानी सिनेमा की दुर्दशा
बस्सी ने राजस्थानी सिनेमा की दुर्दशा पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि राजस्थानी फिल्में बनाने में कलाकारों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्हें पर्याप्त संसाधन और समर्थन नहीं मिल पाता है। इसके बावजूद वे अपनी मेहनत और लगन से फिल्में बनाते हैं, लेकिन उनकी फिल्मों को वह पहचान नहीं मिल पाती जिसकी वे हकदार हैं।
सरकार से अपील
बस्सी ने सरकार से अपील की कि वह राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दे और राजस्थानी सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाए। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा और संस्कृति को बचाने के लिए यह बेहद जरूरी है।
आंदोलन की चेतावनी
बस्सी ने यह भी चेतावनी दी कि अगर सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती है तो वे और उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा और संस्कृति को बचाने के लिए वे किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।
प्रमुख बिंदु:
- राजवीर गुर्जर बस्सी ने राजस्थानी भाषा की उपेक्षा पर सवाल उठाए।
- उन्होंने कहा कि राजस्थानी कलाकार बहुत मेहनत से फिल्में बनाते हैं, लेकिन उनकी भाषा को सम्मान नहीं मिलता।
- बस्सी ने राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता देने और राजस्थानी सिनेमा को बढ़ावा देने की मांग की।
- उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे उग्र आंदोलन करेंगे।
आगे क्या?
राजस्थानी भाषा और सिनेमा के भविष्य का फैसला अब सरकार के हाथों में है। क्या सरकार कलाकारों की आवाज सुनेगी और राजस्थानी भाषा को उसका हक दिलाएगी? या फिर यह मुद्दा राजनीतिक गलियारों में ही दम तोड़ देगा? आने वाला वक्त ही इसका जवाब देगा।