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बिहार के दानापुर से निकलकर राजस्थान की राजधानी जयपुर में अपने पैर जमाने वाले अनिल सिंह आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। एक समय जहां वे अपने पैतृक गांव में जड़ी-बूटियों की खेती करते थे, वहीं आज वे एक सफल सीरियल उद्यमी बनकर ‘नारायण औषधि’ के जरिए करोड़ों के आयुर्वेदिक साम्राज्य के मालिक हैं। उनकी यह कहानी न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि यह इस बात का भी सबूत है कि अगर आपके पास सपने देखने की हिम्मत और उन्हें पूरा करने का जज्बा है, तो आप किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं।

जुनून और मेहनत से मिली कामयाबी

अनिल सिंह का जन्म 10 जुलाई 1974 को बिहार के दानापुर में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता धीरज नारायण सिंह आर्मी में डॉक्टर थे। अनिल की शुरुआती शिक्षा दानापुर में ही हुई। हालांकि, पढ़ाई के साथ-साथ उनका मन हमेशा कुछ नया करने में लगा रहता था। महज 9वीं कक्षा में ही उन्होंने अपना पहला व्यापार शुरू कर दिया था।

पैतृक व्यवसाय से मिली प्रेरणा

अनिल सिंह के दादा और परदादा भी आयुर्वेदिक औषधियों के किसान थे। इसी से उन्हें इस क्षेत्र में गहरी रुचि पैदा हुई। उन्होंने 25 साल पहले विभिन्न जड़ी-बूटियों की खेती शुरू की। हालांकि, उनकी जिंदगी हमेशा आसान नहीं रही। उन्होंने कई तरह के व्यापार किए, लेकिन हर बार उन्हें असफलता ही हाथ लगी।

‘नारायण औषधि’ से मिली नई पहचान

वर्ष 2010 में अनिल सिंह ने अपने पिता के नाम पर ‘धीरज हर्ब्स प्राइवेट लिमिटेड’ नामक कंपनी की स्थापना की। इस कंपनी का मुख्य कार्यालय उनके गृहनगर दानापुर में ही है। यह कंपनी आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण और वितरण का काम करती है। इसके साथ ही उन्होंने ‘ड्रग होम’ नामक एक फार्मा चेन बिजनेस भी शुरू किया, जो पूरे बिहार में तेजी से फैल रहा है।

जयपुर में नई शुरुआत

2020 में अनिल सिंह ने अपने कुछ दोस्तों और बिजनेस गुरुओं की सलाह पर जयपुर में ‘नारायण औषधि प्राइवेट लिमिटेड’ की स्थापना की। यह कंपनी आज 400 से ज्यादा तरह की आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण करती है।

कैंसर के इलाज की खोज में जुटे

अनिल सिंह और उनकी टीम कैंसर जैसी लाइलाज बीमारियों के इलाज के लिए लगातार शोध कर रही है। हाल ही में उन्होंने ‘KIM100’ नामक एक दवा लॉन्च की है, जो कैंसर रोगियों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है।

देश-विदेश में मिल रही है पहचान

आज ‘नारायण औषधि’ की दवाएं देश के कई राज्यों में 15,000 से ज्यादा आयुर्वेदिक डॉक्टरों द्वारा इस्तेमाल की जा रही हैं। अनिल सिंह की योजना जल्द ही यूएई सहित अन्य देशों में भी अपनी दवाओं का निर्यात शुरू करने की है।

मां की प्रेरणा और मोदी सरकार के समर्थन से मिली कामयाबी

अनिल सिंह अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां चानों देवी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देते हैं। वे कहते हैं, “मेरी मां मेरी सबसे बड़ी आदर्श हैं। उनकी प्रेरणा और मोदी सरकार के समर्थन से ही मुझे आयुर्वेद के क्षेत्र में आगे बढ़ने का मौका मिला।”

अनिल सिंह की यह कहानी उन सभी लोगों के लिए एक मिसाल है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वे साबित करते हैं कि अगर आपके पास दृढ़ निश्चय और कड़ी मेहनत करने का जज्बा है, तो आप किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकते हैं।

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