गुजरात के वडताल में इस बार श्री लक्ष्मीनारायण देव “द्विशताब्दी महोत्सव” का भव्य आयोजन हुआ, और यहां संतों का ऐसा जमावड़ा लगा कि जैसे पूरा संत समाज एक परिवार की तरह इकट्ठा हो गया हो। इस संत सम्मेलन में देशभर से आए संत-महंत और भक्तों की भीड़ उमड़ी। खास बात रही श्री दत्त पद्मनाभ पीठ के पीठाधीश्वर, पद्मश्री से सम्मानित सद्गुरु ब्रह्मेशानंदाचार्य स्वामीजी का प्रेरणादायक संबोधन।
सद्गुरुजी ब्रह्मेशानंदाचार्य ने अपने सम्बोधन में भारत की ‘कुटुम्ब परंपरा’ पर जोर देते हुए कहा, “हमारे ऋषि-मुनियों ने हमें सिखाया है कि पूरा विश्व एक परिवार है। भारत हमेशा से अपने इसी विचार पर चलता आया है, और यही हमारी पहचान है।” उन्होंने यह भी बताया कि सनातन धर्म में परिवार, समाज और देश के लिए खुद को समर्पित करने की शिक्षा दी जाती है, और इसी वजह से भारत को कुटुम्ब परंपरा का पालन करने वाला देश कहा जाता है।
पूज्य सद्गुरुजी ब्रह्मेशानंदाचार्य ने भक्तों को यह संदेश भी दिया कि हमारे देश की संस्कृति और परंपराओं को सहेजना बहुत जरूरी है। यह महोत्सव सिर्फ एक आयोजन नहीं बल्कि हमारे समाज में एकता और भाईचारे का संदेश देने का माध्यम है।
इस खास मौके पर मंच पर हिन्दू धर्म आचार्य सभा के अध्यक्ष आचार्य महामण्डलेश्वर अवधेशानंदगिरी स्वामीजी, संयोजक स्वामी परमात्मानंद सरस्वतीजी, स्वामी नारायण गुरुकुल विश्वविद्यालय के प्रमुख आचार्य माधवप्रियदास स्वामीजी, वडताल धाम के प्रमुख आचार्य श्री राकेश प्रसादजी और अन्य सम्माननीय संत मौजूद थे। सभी संतों ने एकजुट होकर सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति के महत्व को रेखांकित किया।
यह महोत्सव न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक एकता का प्रतीक बनकर सामने आया, जहां संतों ने मिलकर भारत की प्राचीन परंपराओं का सम्मान किया और सभी को इस दिशा में प्रेरित किया।